चाहत!
चाहत! चाह गलत नही थी तेरी. बस चाह ने तुझे चाहा हि नही…. वर दिया दिल चाह के खातीर बस चाह को इसका पता हि नही… जह्न मी चाहत इस कदर बसी हें बस इसी के खातीर बह गया तू …. दुनिया निकल गयी आगे बस वही पे रह गया तू ….
Being Human