बोल तेरा मै क्या बनू ?


बोल तेरा मै क्या बनू ?

हर गम  का 

इलाज 

या फिर 

घहरा सा जखम ....


ओठो कि 

हंसी 

या फिर 

बेदर्द चुभन ....


खुशनुमा सा 

एहसास  

या फिर 

हैराण सा पल ...


नये सिरे कि 

जिंदगी 

या फिर 

टूटा हुआ दर्पण ....


चमकता किरण 

आशा का 

या फिर 

दोपेहर कि तपीश ...

 

साथ 

सादगी का 

या फिर 

आतंक का जहर ...

तुषार 




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