पंछी डाले डाल पर बसेरा फिर भी प्यारा उसका हर सवेरा ... हम सोये लेके रुई के तकीये गद्दे ना चैन कि नींद ना खुशनुमा सवेरा ... चुराये किसीका सामान कोई गिरादे किसीका आशियाना कभी ना देखा किसी पंछी चुराये किसी और पंछी का दाना... बेजुबा भेड़ को देखा चलते एक कतार से.... न तू खुद संभाले न तू संभाले सरकार से.... एकही चारा लेके उड़े पंछी अपने घौसले... कभी न आये थैली लेके मांगे हात पसार और भर के ले ... पंख फूटे तो उड़ जाये कही और नया आसरा बनाये ... पालनेवाले का न बोज न पालनेवाला बोज बन जाये... तुझे राह दिखाने ते रे भगवान ने कितने गीता कुरान लिखाये बता कौनसा नक्श्या उस परिंदे को फिर खौसले तक लाये बस अगर चलता जाये तू अपनी मर्जी से तो क्या करेगा ये सविधान चाये सब कुछ कर लेगा तू पर कभी न बन पायेगा तू भला इंसान - तुषार
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